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तुम्हारी आँख के आँसू कभी जब याद आते हैं तुम्हारी आँख के आँसू मुझे बेहद सताते हैं तुम्हारी आँख के आँसू रहीं मजबूरियाँ क्या-क्या हमारे दरमियाँ अक्सर व्यथा उनकी सुनाते हैं तुम्हारी आँख के आँसू कभी बदली, कभी बारिश, कभी झरना, कभी दरिया कभी सागर दिखाते हैं तुम्हारी आँख के आँसू नयन की नाव में दिल के सफर पर जब निकलता हूँ मुझे तब-तब डुबाते हैं तुम्हारी आँख के आँसू ग़मों की रेत पर तपते हुए जीवन के सहरा में हमेशा सूख जाते हैं तुम्हारी आँख के आँसू कभी तुम आँख में अपनी इन्हें लाना न भूले से किसी का दिल दुखाते हैं तुम्हारी आँख के आँसू तुम्हारे लब की इक मुस्कान देती है खुशी मुझको मगर बेहद रुलाते हैं तुम्हारी आँख के आँसू |
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